प्रार्थना से दुर्लभ वस्तु भी प्राप्त की जा सकती है | यहां तक की प्रार्थना की शक्ति से स्वयं ईश्वर को भी राजी किया जा सकता है | जहां प्रार्थना से मन को शांति और अपार सुख मिलता है वही दिन भर के व्यस्त समय में कुछ पल का सफर निकालकर एवं ईश्वर के चरणों में अर्पित करना सच्ची निष्ठा है |
व्यक्ति द्वारा अपने मन की लौ को ईश्वर के साथ लगा देने भर से मन की चिंता को दूर किया जा सकता है |
प्रार्थना का कोई निश्चित समय नहीं होता कि केवल सुबह शाम को ही ईश्वर के आगे नमन करने से ही शांति या सुख मिलेंगे |
सर्वशक्तिमान ईश्वर के आगे किसी भी पल नतमस्तक हुआ जा सकता है | इसके अलावा यह भी जरूरी नहीं है कि प्रार्थना केवल पूजा स्थल पर जाकर की जाए तभी स्वीकार होगी हमारे परमेश्वर को कहीं भी कभी भी किसी भी समय आप सच्चे मन से याद कर सकते हैं |
यहां यह जानना जरूरी है कि आडंबर से बचें बिना दिखावा किए हुए श्रद्धा भाव से ईश्वर का स्मरण सच्ची प्रार्थना है । प्रातः कालीन प्रार्थना सुबह उठकर सर्वप्रथम ईश्वर को मौन रहकर नमन करना चाहिए । योगा मेडिटेशन भी प्रार्थना का ही रूप है । चित्त को एकाग्र कर ईश्वर का ध्यान करने से आंतरिक शक्ति मिलती है |
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